Dhirendra Singh Rathore (रायपालोत)

सिर कटे और धङ लङे रखा राठौङी शान!
“"व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ ! गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !! बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़ ! हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़ !!"”

Thursday, June 17, 2010

आदरणीय श्री भैरों सिंह जी शेखावत को अश्रुपूरित श्रधांजलि



आदरणीय श्री भैरों सिंह जी को अश्रुपूरित श्रधांजलि


Dhirendra Singh Rathore, Thikana Aasop
शेखा-कुल रा लाडला,धाकड़ धुनी सुजान |

उजला सूरज-कुल-रतन,भैरूं सिंघ मतिमान ||१

मरुधर-माटी री महक,जन-मन का सरदार |

दीन-हीन-रक्षक सुधी,थे भारत-गल-हार ||२

भोग्यो जीवन गांव रो,देख्या घणा अभाव |

पण सांचा अनथक पथिक,राख्यो कर्मठ भाव ||३

राष्ट्र धरम ने पालियो,जस फैल्यो चौफेर |

धन सेवा री मूर्ति,शेखावाटी शेर ||४

मरुधर रो मोती कथां,के मरुधर रो शेर |

के मरुधर रो च्यानानो,कीरत चढी सुमेर ||५(विद्वान कवि डा. उदयवीर शर्मा द्वारा रचित)

भैरों सिंह शेखावत विराट व्यक्तित्व के धनी थे। वे जन-जन के नेता थे। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर राजनीति ...के शिखर तक पहुंचने वाले "शेर-ए-राजस्थान" के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया |
श्री भैरों सिंह जी के निधन के बाद भारतीय राजनीती में उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी |

विनम्र अश्रुपूरित श्रधांजलि |




लेख सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है !

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