Dhirendra Singh Rathore (रायपालोत)

सिर कटे और धङ लङे रखा राठौङी शान!
“"व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ ! गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !! बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़ ! हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़ !!"”

Wednesday, October 20, 2010

यमराज का इस्तीफ़ा


यमराज का इस्तीफ़ा
एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफ़ा।
मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इंद्रदेव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।
'डायल किया गया
नंबर कृपया जांच लें'
कि आवाज़ तब सुनाई। नये-नये ऑफ़र देखकर नंबर बदलने की
यमराज की इस आदत पर इंद्रदेव को खुंदक आई,
पर मामले की नाजुकता को देखकर,
मन की बात उन्होंने मन में ही दबाई।
किसी तरह यमराज का नया नंबर मिला,
फिर से फ़ोन लगाया गया तो 'तुझसे है मेरा नाता पुराना कोई' का मोबाइल ने कॉलर ट्यून सुनाया।
सुन-सुन कर ये सब बोर हो गए ऐसा लगा शायद यमराज जी सो गए।
तहक़ीक़ात करने पर पता लगा, यमदेव पृथ्वी लोक में रोमिंग पे हैं, शायद इसलिए,
नहीं दे रहे हैं हमारी कॉल पे ध्यान, क्योंकि बिल भरने में निकल जाती है उनकी भी जान।
अन्त में किसी तरह यमराज हुए इंद्र के दरबार में पेश, इंद्रदेव ने तब पूछा-यम क्या है ये इस्तीफ़े का केस?
यमराज जी तब मुंह खोले और बोले- हे इंद्रदेव। 'मल्टीप्लैक्स' में जब भी जाता हूं, 'भैंसे' की पार्किंग
न होने की वजह से बिन फ़िल्म देखे, ही लौट के आता हूं। 'बरिस्ता' और 'मैकडोनल्ड' वाले तो देखते ही देखते
इज़्ज़त उतार देते हैं और सबके सामने ही ढाबे में जाकर खाने की सलाह दे देते हैं।
मौत के अपने काम पर जब पृथ्वीलोक जाता हूं 'भैंसे' पर मुझे देखकर पृथ्वीवासी भी हंसते हैं और कार न होने
के ताने कसते हैं।
भैंसे पर बैठे-बैठे झटके बड़े रहे हैं वायुमार्ग में भी अब ट्रैफ़िक बढ़ रहे हैं।
रफ़तार की इस दुनिया का मैं भैंसे से कैसे करूँगा पीछा।
आप कुछ समझ रहे हो या कुछ और दूं शिक्षा।
और तो और, देखो रंभा के पास है 'टोयटा' और उर्वशी को है आपने 'एसेंट' दिया, फिर मेरे साथ
ये अन्याय क्यों किया?
हे इंद्रदेव।
मेरे इस दुख को समझो और चार पहिए की जगह चार पैरों वाला दिया है कह कर अब मुझे न बहलाओ,
और जल्दी से 'मर्सीडिज़' मुझे दिलाओ। वरना मेरा इस्तीफ़ा अपने साथ ही लेकर जाओ।
और मौत का ये काम अब किसी और से करवाओ।

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